आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास अपने शरीर की ओर ध्यान देने का समय ही नहीं बच पाता है। ऐसे में उनको तमाम तरह की समस्याएं झेलनी पड़ती है। आफिसों में बैठकर काम करने वालों के पेट बाहर आने लगते हैं। बढ़ती उम्र के साथ अन्य तमाम तरह की समस्याएं भी सामने आने लगती है। इसके बाद सप्ताह में कम से कम एक दिन डॉक्टर के लिए फिक्स हो जाता है। उनसे समय लेना पड़ता है और फिर दवाओं का सिलसिला शुरू हो जाता है। एक बार दवाओं का सिलसिला शुरू होने के बाद वो रूकता नहीं है। अजीवन चलता ही रहता है।
आज के ही दिन बनाया जाता है World Obesity Day
हर साल 11 अक्टूबर को विश्व मोटापा दिवस मनाया जाता है। विश्व मोटापा दिवस वार्षिक अभियान की स्थापना विश्व मोटापा फेडरेशन ने वर्ष 2015 में की गयी थी। उसी के बाद से ये अभियान लगातार मनाया जा रहा है। इस अभियान के तहत लोगों को स्वस्थ रहने, अपने वजन पर नियंत्रण रखने और अपने को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जागरुक किया जाता है। इस अभियान का मिशन मोटापा कटौती, रोकथाम और उपचार करने के वैश्विक प्रयासों की अगुआई और संचालन भी है।
मोटापा शरीर ही नहीं दिमाग की सेहत के लिए भी घातक
मोटापा शरीर के लिए ही नहीं, बल्कि दिमाग की सेहत के लिए भी घातक होता है। इससे सीखने की क्षमता और याददाश्त पर दुष्प्रभाव पड़ता है। अमेरिका की अगस्ता यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि हमारे दिमाग में एंडोथेलियल कोशिकाएं एक दीवार की तरह काम करती हैं। इन कोशिकाओं पर दो रिसेप्टर एडोरा-1ए और एडोरा-2ए होते हैं। इनके संतुलन से दिमाग में खून का बहाव और दिमाग की कार्यप्रणाली नियंत्रित होती है। मोटापे के कारण रिसेप्टर एडोरा-2ए अतिसक्रिय हो जाता है। ऐसा होने से दिमाग में खून का बहाव असंतुलित हो जाता है और दिमाग की क्षमता प्रभावित होती है।
आज के ही दिन बनाया जाता है World Obesity Day
हर साल 11 अक्टूबर को विश्व मोटापा दिवस मनाया जाता है। विश्व मोटापा दिवस वार्षिक अभियान की स्थापना विश्व मोटापा फेडरेशन ने वर्ष 2015 में की गयी थी। उसी के बाद से ये अभियान लगातार मनाया जा रहा है। इस अभियान के तहत लोगों को स्वस्थ रहने, अपने वजन पर नियंत्रण रखने और अपने को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जागरुक किया जाता है। इस अभियान का मिशन मोटापा कटौती, रोकथाम और उपचार करने के वैश्विक प्रयासों की अगुआई और संचालन भी है।
मोटापा शरीर ही नहीं दिमाग की सेहत के लिए भी घातक
मोटापा शरीर के लिए ही नहीं, बल्कि दिमाग की सेहत के लिए भी घातक होता है। इससे सीखने की क्षमता और याददाश्त पर दुष्प्रभाव पड़ता है। अमेरिका की अगस्ता यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि हमारे दिमाग में एंडोथेलियल कोशिकाएं एक दीवार की तरह काम करती हैं। इन कोशिकाओं पर दो रिसेप्टर एडोरा-1ए और एडोरा-2ए होते हैं। इनके संतुलन से दिमाग में खून का बहाव और दिमाग की कार्यप्रणाली नियंत्रित होती है। मोटापे के कारण रिसेप्टर एडोरा-2ए अतिसक्रिय हो जाता है। ऐसा होने से दिमाग में खून का बहाव असंतुलित हो जाता है और दिमाग की क्षमता प्रभावित होती है।
वजन बढ़ने के साथ ही शुरू हो जाती हैं समस्याएं
वजन बढ़ने के साथ ही कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्यायें शुरू हो जाती हैं। मोटापा कम करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है अपनी जीवनशैली में खास बदलाव करना। स्वस्थ खानपान और नियमित व्यायाम के जरिए आप बढ़ते वजन पर काबू पा सकते हैं। मोटापा बढने से डायबीटीज, ब्लडप्रेशर, हार्ट अटैक, ब्रेन स्टोन, कैंसर, अनिद्रा, जोडों और घुटनों की बीमारियां शुरू हो जाती हैं। मोटापा कम करने के लिए हमें अपने खानपान को ध्यान में रखना चाहिए। टाइम पर खाना चाहिए, डाइट संतुलित मात्रा में लेनी चाहिए। डाइट में प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइडेट की प्रचुर मात्रा होनी चाहिए।

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